दोस्तो हमारे जीवन मे आंखों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहता है क्योंकि इसके बिना जीवन असंभव सा लगती है । दोस्तो आंखों के सहारे हम पूरी दुनिया को देख सकते है लेकिन दोस्तो आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे है जिसको जान लेने के बाद भी आप कहेंगे कि वहाँ क्या बात है ।
असल मे दोस्तो ये घटना शहडोल जिला की एक दंपती की है जिनकी बेटी का जब जन्म हुआ तो उनकी बेटी का फ़ूड पंप का विकास नहीं हुआ था जिसके लिए ऑपरेशन भी हुआ लेकिन ऑपरेशन में सफलता नही मिल पाई ।
दोस्तो किसी भी दंपति के लिये उसके लिये उसके बच्चे उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशी होती है लेकिन दोस्तो कभी – कभी कुछ ऐसा हो जाता है कि जिसके बाद माता – पिता की सारी खुशियाँ छीन जाती है। लेकिन दोस्तो शहडोल जिला के दंपती की बच्ची जिसका ऑपरेशन सफल नहीं हो पाया था ,उस बच्ची के माता – पिता ने एक ऐसा काम किया जिसके बाद से हमेशा वो बच्ची सबके दिलो पर कुछ ऐसा समा गयी जिसके बाद उसको भुला पाना नामुमकिन है।
असल मे दोस्तो इस दंपति का नाम धीरज गुप्ता और राज श्री है । दोस्तो धीरज गुप्ता जहाँ शहडोल से वही राजश्री झारखंड से है , इस दंपति की शादी 2018 में हुई थी जिसके 3 साल बाद 2021 में इस दंपती ने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम इन्होंने अपराजिता रखा। जब इस बच्ची का जन्म हुआ तो डॉक्टरों को कुछ शक हुआ इसलिये डॉक्टर ने बच्ची की जांच करवाई तो पता चला कि बच्ची का फ़ूड पंप विकसित हुआ ही नहीं है जिस कारण से उसका ऑपरेशन करना आवश्यक है।
धीरज और राजश्री को डॉक्टर की बात सही लगी जिसके बाद डॉक्टर ने दंपती की परमिशन से उनकी बच्ची अपराजिता का ऑपरेशन करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी और बच्ची ने भी दम तोड़ दिया। दोस्तो किसी भी दंपती के लिए उसके बच्चे से बढ़कर कुछ नहीं होता है।
लेकिन जब उनके जीते- जी उनका बच्चा उनकी आंखों के सामने चला जाये तो क्या बिताती है उनके ऊपर वही जानते है लेकिन दोस्तो धीरज गुप्ता और राजश्री एक ऐसा काम कर दिया जिसके बाद ना सिर्फ उनकी बच्ची का नाम पूरी दुनिया मे हुआ बल्कि राष्ट्रपति तक मे उन्हें समानित किया। दोस्तो असल में धीरज गुप्ता और राजश्री को जब पता चला कि उनकी अपराजिता इस दुनिया मे नही है तो उन्होंने ने निर्णय लिया कि वो अपराजिता का नेत्रदान करेंगें ।
जब ये बात हॉस्पिटल के डॉक्टरों को पता चला तो उन्होंने उनके निर्णय के बहुत सराहना की और फिर पता किया क्या किसी को नेत्रदान की आवश्यकता है तब उन्हें जानकारी मिली कि कश्यप आई हॉस्पिटल में दो लोगो को नेत्रदान की आवश्यकता है ।
- बस फिर क्या था दोनो लोगो को अपराजिता की आंखे मिल जाने के बाद उन लोगो को एक नई जिंदगी मिल गयी।दोस्तो अपराजिता के माता – पिता द्वारा किया गये इस काम की सराहना आज समय में हर कोई कर रहा है , यहाँ तक कि खुद राज्यपाल ने खुद उन्हें इस बात के लिये समानित किया।