5 साल की उम्र में ही खो दी आंखों की रोशनी, नहीं मानी हार, मेहनत और लगन से IAS बनीं पूर्णा

 दोस्तो जैसे कि आप सबको पता है  यूपीएससी  भारत की सबसे कठिन परीक्षा है जिससे अच्छे से अच्छे पढ़ने में तेज लोग भी निकाल पाते है । यूपीएससी कुल तीन चरण में  जिनमे से सबसे पहले  होता है प्री  , फिर होता है मैन्स और इंटरव्यू। 

दोस्तो यूपीएससी को निकालने के  लोग ना जाने कोचिंग  पर कितना पैसा खर्च कर देते है पर उनकी मेहनत रंग नहीं लाती है लेकिम दोस्तो आज हम आपको एक ऐसी   लड़की के बारे में बताने जा रहे है जिनकी 5 वर्ष की आयु में आंखों की रोशनी चली गयी थी जिस करण से उन्हें कुछ भी दिखाई नही देता था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मन लगाकर मेहनत करके यूपीएससी का पेपर आराम से निकाल लिया। 

दोस्तो हम बात कर रहे है 2019 यूपीएससी में 289 वीं रैंक लाने वाली पूर्णा सांथरी की जिनकी मात्र 5 वर्ष की आयु भही में आंखों की रोशनी चली गयी थी पर उंन्होने ने हार नहीं मानी और मन लगाकार मेहनत करके यूपीएससी जैसी  कठिन परीक्षा में 289 वीं रैंक लाकर आईएएस अफसर बनकर अपने परिवार का नाम रोशन कर दी ।

दोस्तो आप सब की जानकारी के लिए बता दे कि पूजा सांथरी   तमिलनाडु  के मदुरई कज रहने वाली है जहाँ  वो एक माध्यम वर्गीय परिवार से  सम्बन्ध रखती है।

पूर्णा सांथरी ने सामना किया कई समस्याओं का – दोस्तो पूर्णा सांथरी एक माध्यम  वर्गीय परिवार से संबंध रखती है लेकिन उन्होंने ये बता दिया कि अगर इंसान चाह ले तो वो कुछ भी कर सकता है। दोस्तो पूजा सांथरी  की समस्याओं से भरे इस सफर में उनका परिवर उनके साथ खड़ा जिसके कारण उन्हें अपने लक्ष्य से भटकना नहीं पड़ा । 

दोस्तो  आप लोगो की जानकारी के लिये बता दे कि पूजा सांथरी की माँ एक गृहणी है वही उनके पिता मॉर्केटिंग में सेल्स एग्जीक्यूटिव का काम करते है। दोस्तो पूर्णा सांथरी  के माता -पिता ने पूर्णा के जन्म के समय ही निर्धारित कर लिया था कि वो पूर्णा को अच्छे से पढ़ाई लिखायेंगे  लेकिन  पूर्णा और उनके परिवार के लिये ये सफर इतना आसान नहीं था।

5 साल की आयु में पूर्णा की आंखों की चली गयी थी रोशनी – दोस्तो जब पूर्णा  5 साल की आयु की थी तो उसके आंखों की रोशनी चली गयी थी लेकिन पूर्णा ने इससे अपनी कमजोरी नही बनने दिया । पूर्णा ने ठान लिया था कि वो खूब मेहनत करेगी जिससे उनके  माता- पिता का नाम रोशन हो सके , पूर्णा की जिद पर उसके परिवार ने भी पूरा सहयोग दिया । 

दोस्तो जब पूर्णा ने  अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी कर ली थी तब उन्होंने यूपीएससी देनी की ठान ली लेकिन अब समस्या ये थी कि पूर्णा को सभी स्टडी मैटीरियल ऑडियो फॉर्मेट में चाहिये थे  जो पूर्णा के परिवार ने दिन रात मेहनत करके  पूर्णा के लिये खुद बनाकर दिये।

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दोस्तो पूर्णा और उनके परिवार की मेहनत रंग लायी क्योंकि जब  2019 में पूर्णा ने  यूपीएससी में 289 रैंक हासिल करके  पूरे परिवार का नाम रोशन कर दिया।

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