2 साल पहले पति की हो गई मृत्यु , फिर सास ने मां बनकर विधवा बहू की करवाई दूसरी शादी

दोस्तो शादी  एक रिश्ता है जिसमे लड़का और लड़की 7 जन्मों तक साथ रहने का वादा निभाते है । शादी  में  पति औऱ पत्नी हर मुश्किल समय मे एक दूसरे का साथ निभाने का  वादा करते है । लेकिन दोस्तो  जब  शादी के  रिश्ते   में जब पति साथ छोड़कर चला जाता  है तो  पत्नी का जीवन काफी  मुश्किलों भरा हो जाता है। विधवा महिला को पूरे समाज के दिखाये रास्ते मे जाना पड़ता है ।

प्राचीन समय से ही  विधवा महिलाओं के लिये कई  सारे ऐसे रीति रिवाज बनाये   गये है जिनसे महिलाओं को काफी समस्याओं का समान करना पड़ता है। लेकिन जैसे – जैसे समय बदलता जा रहे है वैसे- वैसे विधवा महिलाओं के लिये पुनर्विवाह  को बढ़वा मिलता जा रहा है । लेकिन दोस्तो आज भी कई ऐसे लोग है जो कि विधवा महिलाओ के  लिये पुर्नविवाह करवाना का विरोध करते आ रहे है। लेकिन दोस्तो आज हम आपको छत्तीसगढ़ की में एक ऐसी सास के बारे में बताने जा रहे है जिसमे ना सिर्फ अपनी विधवा बहु का पुनः विवाह के लिये तैयार किया बल्कि अपनी बहू का विधवा  विवाह करवाया।

 विधवा बहु का पुर्नविवाह करवाया सास ने – दोस्तो आपकी जानकारी के लिये बता दे कि धमतरी के रिसाई पारा के नागेश्वर मंदिर में 32 वर्षीय  विधवा कृतिलता सिन्हा और  विधुर 40 वर्षीय दुर्गेश सिन्हा  शादी के बंधन में बंध गये।  कृतिलता सिन्हा  के पति 2 साल  पहले दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मौत हो गयी थी जिसके बाद से कृतिलता सिन्हा  अपने 5 साल  के बच्चे के साथ अकेले रह रही  थी।

कृतिलता सिन्हा को उसकी सास ने मनाया -दोस्तो आपकी जानकारी के लिये बता  दे कि कृतिलता सिन्हा  ने अपनी पति की मौत के बाद अकेले जीवन जीने का फ़ैसला कर लिया था। लेकिन कृतिलता सिन्हा  की सास और जनपद सदस्य यमुना देवी ने अपनी बहू को काफी समझया और उसे दूसरी शादी के लिये मना लिया , लेकिन ये फैसला उतना आसान नही था क्योंकि समाज मे ऐसे भी लोग अभी भी जो के विधवा विवाह के पुरजोर विरोधी है। लेकिन यमुना देवी ने सारी समस्याओं को एक किनारे करते हुये अपनी बहू का विधवा विवाह करवा दिया।

2 साल बेटे को खो दिया यमुना देवी ने – यमुना देवी ने बताया कि दो साल पहले उन्होंने अपने बेटे को खो दिया था लेकिन उनकी बहु के पास अभी पूरी ज़िंदगी पड़ी  हुई है। इसलिय उन्होंने अपनी बहू का  विवाह करवाने का निर्णय किया ताकि उसका आने वाला जीवन सुखी – सुखी जी सकें।

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