दोस्तो समय के साथ जैसे – जैसे इंसान शिक्षित होते जा रहा है वैसे – वैसे वो समाज की कुरूतियों से खुद को दूर करते जा रहा है । समाज मे जहाँ एक समय बाल विवाह , विधवा विवाह का पुनर्विवाह पर रोक , दहेज प्रथा जैसे बहुत सारी कुरीतियां फैली हुई थी जिसे इंसान धीरे – धीरे शिक्षित होने के कारण खत्म कर रहा है।
आज हम आपको एक ऐसे प्रेरणादायक घटना के बारे में बताने जिसके सुनाने के बाद आप भी कहेंगे कि अब समाज धीरे – धीरे बदल रहा है। दोस्तो आज हम बात करने जा रहे है बाँदा जिले के क्षत्रिय परिवार की जिसने अपनी विधवा बहु का पुनर्विवाह बहुत ही धूमधाम से किया जिसके बाद हर किसी के जुबान पर यही था कि सब लड़की को ससुराल मिले तो ऐसा ।
असल मे बाँदा जिले के क्षत्रिय परिवार ने अपने बड़े बेटे की शादी वंदना से की थी जिसके मृत्यु शादी के कुछ महीने बाद हो गयी थी जिसके बाद पूरे परिवार ने वंदना की शादी अपने छोटे बेटे शुभम से करा दी । वंदना के ससुराल वालों ने ये शादी बहुत धूमधाम से की जिसके लिये अलग से मैरिज हॉल तक बुक करके सभी रिश्तेदार को आमंत्रित भी किया गया । दोस्तो शुभम ने भी अपनी भाभी को शुभ मुहूर्त पर बड़े सम्मान के साथ पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
दोस्तो जब वंदना से जब इस विषय मे जानकारी मांगी गई तो वंदना ने बताया कि उनके ससुराल वाले बहुत अच्छे है उन्होंने कभी भी वन्दना को अपनी बहू नहीं बल्कि एक बेटी रूप में स्वीकार किया है यही नहीं वंदना ने ये भी बताया कि उन्हें अपने ससुराल का माहौल मायके से भी ज़्यादा अच्छा लगता है क्योंकि उन्होंने मुझे यहाँ कभी ऐसा लगता ही नहीं है कि वो ससुराल में है । वंदना ने ये भी कहा कि जब उनके पति की मृत्यु हुई थी तो उन्हें लगा के जैसे उनकी ज़िंदगी खत्म हो गयी है लेकिन उनके ससुराल वालों ने उन्हें संभाल और उससे एक नया जीवन के रूप शुरुआत करने में मदद की ।
दोस्तो इस घटना के बाद पूरे क्षत्रिय समाज मे इस परिवार के द्वारा किये कार्य को लेकर प्रसंसा की जा रही है । वही जब शुभम से इस रिश्ते के बारे में पूछा गया तो शुभम ने बताया की भाभी जब विवाह करके घर आई थी तो उन्होंने घर एक हर सदस्य का अपनी सेवा से दिल जीत लिया । जब भाई की मृत्यु हुई तो सब दुखी थे कोई भी भाभी को घर से दुर नहीं जाने देना चाहता था और भाभी भी घर से नहीं जाना चाहती थी जिस कारण से हम सब ने मिलकर ये निर्णय लिया।