20 साल बाद मायके से बेटे के साथ ससुराल लौटी पत्नी, तो पति ने कुछ इस तरह से किया स्वागत

दोस्तो पति – पत्नी का रिश्ता एक ऐसा रिश्ता  है जिसे सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है।  दोस्तो इस रिश्ते को बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि दुनिया मे हर रिश्ते में लोग एक दूसरे का साथ छोड़ देते है लेकिन मुसबीत के वक्त सिर्फ पति पत्नी का ही एक ऐसा रिश्ता होता है जो हमेशा साथ देता है । दोस्तो आप लोगो ने हमेशा देखा होगा कि पति- पत्नी के रिश्ते  में लड़ाई होती रहती है लेकिन  ये लड़ाई पति- पत्नी के प्रेम के सामने ज्यादा  दिन नही ठीक पाता है जिस कारण से पति- पत्नी फिर  एक हो जाते है। 

लेकिन दोस्तो कभी कभार कुछ ऐसी बात  हो जाती है जिससे झगड़ा बहुत बढ़ जाता है । ये झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि पति – पत्नी एक दूसरे से अलग तक रहने लगते है । दोस्तो आज हम आपको एक ऐसी पति – पत्नी की जानकारी देने जा रहे है जिनकी शादी तो हो गयी थी पर किसी बात लेकर लड़ाई इतनी बढ़ गयी कि दोनो एक दूसरे से 20 साल तक दूर  रहे पर 20 साल के बाद दोनों को उनकी  बहु ने ही मिलवाया दिया ।

असल में दोस्तो ये पूरा मामला  महराजगंज का है । यहाँ निवास करने वाले रामराज की पहली पत्नी का निधन हो गया था जिसके बाद उसके घर वालो ने दूसरी शादी करने के  लिए प्रेरित करने लगे । रामजस तो पहले शादी से मना करता रहा लेकिन जब उसने अपनी विकलांग बेटे की ओर देखता तो उसे दया आ जाती थी जिस कारण से उसने दूसरी शादी करने का निर्णय लेकिन उससे 40 वर्ष के रामजस से शादी करने के लिये कौन राजी होती है। 

लेकिन दोस्तो रामजस को एक महिला नेपाल के कुसुमहा के मंशा गांव पर एक तलाकशुदा लड़की मिल गयी शादी के लिये लेकिन ये शादी के बाद मंशा गर्भवती हुई तो रामजस ने उससे मायके भेज दिया। लेकिन दोस्तो रामजस ने अपने ससुराल जाना नहीं छोड़ा , लेकिन इस बीच दोनो के बीच किसी बात को लेकर लड़ाई होगयी और तो और ये लड़ाई इतना ज्यादा बढ़ गयी कि मंशा ने ससुराल जाने से ही  मना कर दिया।

दोस्तो इस बात को 20 साल होगया लेकिन मंशा एक  बार भी अपने ससुराल नहीं गयी। शुरू में रामजस ने प्रयास किया लेंकिन जब उससे भी इस बात का अहसास हुआ कि  मंशा अब नही आने वाली तो उसने भी ससुराल जाना छोड़ दिया था। लेकिन दोस्तो किस्मत को कुछ और ही मंजूर था क्योंकि  रामजस के छोटे भाई की बहू  नेपाल के गोपालपुर के खिचड़ी मेला पर गयी जहाँ उससे मंशा मिली, दोनो की जब जान पहचान हुई तो मंशा ने अपने पति का हालचाल पूछने लगी । मंशा के अपने पति के प्रति प्रेम को बहु समझ गयी फिर उसने निर्णय ले लिया कि अपने सास – ससुर को जरूर मिलवा कर रहेगी।

मंशा और रामजस को फिरस मिलवाने के लिये उन्हें वापस  महाराजगंज ले आयी जहाँ अपनी पत्नी को देखते ही रामजस ने उसका स्वागत फूलो से किया। अब अपनी प्रति इतना प्रेम देखकर मंशा ने भी ये निर्णय ले लिया कि वो पुरानी बातो को भुलाकर एक नयी शुरुआत करने मे निर्णय ले लिया।

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