बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक लो लाइफ रही हैं। 70 के दशक के अंतिम भाग से लेकर 90 के दशक के अंतिम भाग तक, प्राण, प्रेम चोपड़ा, अजीत, रंजीत, अमजद खान, अमरीश पुरी, डैनी डेन्जोंगपा, शक्ति कपूर, गुलशन ग्रोवर और आशुतोष राणा सहित कई विद्रोही बॉलीवुड में बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। . इन्हीं में से एक नाम आशीष विद्यार्थी का भी है। आशीष अभी भी अपनी एकजुटता से जुड़े हुए हैं। बॉलीवुड फिल्म ‘द्रोहकाल’ का ‘ऑफिसर भद्र’ हो या फिर अनिल कपूर स्टारर ‘1942: ए रोमांटिक स्टोरी’ का ‘आशुतोष’, आशीष विद्यार्थी अपने दमदार अभिनय से हर किरदार को सर्वोपरि बना देते हैं.
आशीष विद्यार्थी का जन्म 19 जून,1962 को दिल्ली में हुआ था. जन्म से लेकर पढ़ाई-लिखाई तक उन्होंने अपना अधिकांश समय दिल्ली में ही बिताया. आशीष के पिता मलयाली, जबकि मां बंगाली थीं. मां रेबा विद्यार्थी मशहूर कथक गुरु थीं, जबकि पिता गोविंद विद्यार्थी संगीत नाटक अकादमी के लिए भारत की लुप्त होती प्रदर्शन कलाओं को सूचीबद्ध करने और संग्रहीत करने के लिए जाने जाते हैं. आशीष को बचपन में क्रिकेट का शौक था, लेकिन धीरे धीरे उनका रुझान एक्टिंग की तरफ़ होने लगा.
‘नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा’ से सीखा अभिनय
आशीष विद्यार्थी ने अपने एक्टिंग के शौक को पूरा करने के लिए सन 1990 में दिल्ली के ‘नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा’ (NSD) में दाख़िला ले लिया. NSD में एक्टिंग के दौरान ही आशीष को एक हिंदी फ़िल्म में काम करने का मौका मिल गया था. इसके बाद वो 1992 में मुंबई शिफ़्ट हो गए. इस दौरान 1993 में उन्हें सरदार वल्लभ भाई पटेल की ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म ‘सरदार’ में सिविल सर्वेंट V. P. Menon का किरदार निभाने को मिल, लेकिन उनकी रिलीज़ होने वाली पहली फ़िल्म ‘द्रोहकाल’ थी.
फ़िल्मीं करियर की शुरुआत
आशीष विद्यार्थी ने साल 1991 में ‘काल संध्या’ फ़िल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. इस फ़िल्म में उन्होंने पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई थी. वो अब तक ‘1942: ए लव स्टोरी, ‘सरदार’, ‘ओह डार्लिंग ये है इंडिया’, ‘बाज़ी’, ‘जीत’, ‘भाई’, ‘मृत्युदाता’, ‘ज़िद्दी, ‘मेजर साब’, ‘सोल्जर’, ‘अर्जुन पंडित’, ‘जानवर, ‘वास्तव’, ‘बादल’, ‘बिच्छू’, ‘कहो न प्यार है’, रिफ्यूज़ी, ‘जोड़ी नंबर 1’, LOC: कारगिल, ‘दम’, ‘रक्तचरित्र’, ‘बर्फ़ी’, ‘आर राजकुमार’, ‘हैदर’ और ‘अलीगढ़’ जैसी बेहतरीन फ़िल्मों में कई शानदार किरदार निभा चुके हैं.
जीत चुके हैं ‘नेशनल अवॉर्ड’
आशीष विद्यार्थी हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, बंगाली और उड़िया समेत कुल 11 भाषाओं की 300 से अधिक फ़िल्मों में काम कर चुके हैं. आशीष ख़ासकर नकारात्मक और चरित्र भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं. साल 1995 में उन्हें हिंदी फ़िल्म ‘द्रोहकाल’ के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता’ का ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’ मिला था.
आजकल कहां हैं और क्या कर रहे हैं आशीष?
आशीष विद्यार्थी पिछले काफ़ी समय बेहद कम हिंदी फ़िल्में कर रहे हैं. यूं कहें तो उन्हें बेहद कम काम मिल रहा है. वो पिछले 10 सालों में केवल 11 हिंदी फ़िल्मों में ही नज़र आये हैं. लेकिन आशीष साउथ फ़िल्म इंडस्ट्री में लगातार काम करते जा रहे हैं. आशीष अब मोटिवेशनल स्पीकर बन चुके हैं. वो AVID MINER Conversations नाम की एक संस्था के सह-संस्थापक और क्यूरेटर भी हैं. आशीष पिछले कुछ सालों से अपने YouTube चैनल के ज़रिए हमेशा एक्टिव रहते हैं. इसके अलावा वो अब अपना अधिकतर समय ट्रैवेलिंग में भी बिताने लगे हैं.
आशीष विद्यार्थी ने साल 2021 में एक वीडियो शेयर किया था, जिसमें उन्होंने बताया कि फ़ैंस उनसे अक्सर सवाल पूछते हैं कि वो हिंदी फ़िल्में क्यों नहीं कर रहे हैं? इस पर उन्होंने अपने दिल की बात कहते हुए कहा, ‘मुझे हिंदी फ़िल्में ऑफ़र ही नहीं हो रही हैं, मैं अच्छा काम करना चाहता हूं. मैं भी अन्य कलाकारों की तरह OTT पर किसी वेब सीरीज़ में काम करना चाहता हूं. मुझे अच्छे काम की तलाश है’.