अब तक 3000 से ज़्यादा बेसहारा लड़कियों की शादी करवा चुका है यह आदमी, जानिए क्या है वजह

दोस्तो  सदियों से लोग बेटियो को बोझ मानते आ रहे है। लोगो का मानना है कि बेटी का जन्म हुआ है तो बस उसकी शादी करा दो बस ,बाकी  उसकी तकदीर में जो लिखा  होगा वो तो होगा ही । ये लोग बेटी के भविष्य के बारे में नहीं सोचते है  लेकिन दोस्तो जैसे- जैसे समय बदल रहा है लोगो की  सोच भी बदल रही है । लोग आज बेटियो को बढ़वा देने के लिये उनकी पढ़ाई लिखाई  खर्च उठा रहे है ताकि वो पढ़ लिख कर अपने पैर पर खड़ी हो चुकी है  पर ऐसा सिर्फ कुछ ही जगह में हो रहा है।

हमारे समाज मे लड़कियों के प्रति हीन भावना इसलिए भी  रखी जाती है क्योंकि   हर शादी में दहेज देना पड़ता है और ये दहेज इतना ज्यादा होता है जिससे देने के लिये लोगो को अपनी जमीन  घर तक बेचना पड़ जाता है। लेकिन दोस्तो सूरत एक हीरा व्यापारी ने  ऐसा काम किया है जिससे वो लड़कियों के लिये एक मसीह बन चुके है। दरअसल दोस्तो आज हम जिस हीरा व्यापारी की बात करने जा रहा है उनका नाम महेशभाई सवाणी जिन्होंने 23 दिसम्बर को 261 की लड़कियों की शादी करा कर अपने पूरे जीवन 3000 लड़कियों की शादी कराने का  शुभ काम किया है।

महेश भाई  सवाणी शादी कराने में ये नहीं देखते है कि लड़की किस धर्म की है बल्कि उनका मकसद लड़कियों को शादी कराकर उनको सुखी जीवन प्रदान करना है।  आपकी जानकारी के लिये बता दे कि महेश भाई सवाणी इस कार्य को लगभग 9 वर्ष से हर वर्ष  सामूहिक शादी का कार्यक्रम कर रहे है जिसमे अब तक 2866 बेसहारा लड़कियों की शादी करा चुके है और इस वर्ष उंन्होने 231 लड़कियो की शादी करायी  है यानी कि अब तक उन्होंने ने 3124 बेसहारा लड़कियों की  शादी कराने का सुख प्राप्त  हुआ है। 

जब हमने इस बारे महेश भाई  सवाणी से बात की तो उंन्होने बताया कि इन सभी लड़कियों की जिम्मेदारी उनकी है । शादी के बाद भी उन लड़कियों की जिम्मेदारी में उठाता हूँ  जैसे कि उनके बच्चों का जन्म, पढ़ाई, इलाज और जरूरी  चीजों के सारे खर्च में उठाता हूँ। महेश भाई ने बताया कि अगर लड़की की छोटी बहन है तो उसकी जिम्मेदारी में उठाता हूँ ।

महेश भाई सवाणी ने आगे बताया कि  उंन्होने एक आपात फंड बनाया है जिसमे  उनके सभी दामाद हर महीने  500 रुपये जमा करते है। इन पैसों की मदद से हर महीने इंसान  15 लाख रुपये इकठ्ठा हो रहा है  जो कि  उनके ही परिवार की समस्या के समय काम देगा। 

इन पैसों का पूरा हिसाब किताब दामाद ही रखते है  जो कि पढ़े लिखे हुये है। दोस्तो आपकी जानकारी के लिये बता दे कि महेश भाई हर वर्ष जब भी सामूहिक विवाह का आयोजन  करते है तो उसको एक नाम देते है ,इस वर्ष के कार्यक्रम का नाम लाडली रखा गया था जो कि कचरा पेटी में पाई गयी एक नवजात बावची के नाम पर है जिससे प्रेरित होकर महेश भाई ने लड़कियों को गोद लेना शुरु कर दिया था । 

दोस्तो महेश भाई पूरी शादी का खर्च अकेले उठाते है जिसमें अपनी पूरी कमाई लगा देते  है।

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