दोस्तो किन्नर को हमारे समाज मे एक अभिशाप के रूप में देखा जाता है क्योंकि जैसे ही उनका जन्म होता है उन्हें परिवार से दूर कर दिया जाता है। किन्नरो को सिर्फ शादी में या फिर जब किसी घर मे बच्चे का जन्म होता है तो तब बुलाया जाता है लेकिन दोस्तो मुरैना के अंबाह गांव में किन्नरों ने जो काम किया है उसको देखकर हर कोई हैरान है क्योंकि किन्नरों ने यहां एक लड़की के पिता के देहांत हो जाने के बाद उसकी शादी करवा कर एक भाई का किरदार निभाया वही जब लड़की ने एक बेटी को जन्म दिया तब लड़की के मामा बनकर सारी रस्मे की ।
दोस्तो इस घटना को लेकर मुरैना में काफी चर्चा है क्योंकि जिस समय लड़की की मदद के लिये कोई भी आगे नहीं आ रहा था उस समय किन्नरो ने आकर वो काम किया जो कि अपने नहीं करते है । दोस्तो किन्नरों के द्वारा किये गए काम की तारीफ हर कोई कर रहा है।
क्या है पूरा मामला – असल मे दोस्तो अंबाह के प्रताप कॉलोनी के रहने वाले डोंगर सिंह जाटव दो साल पूर्व खत्म हो गये थे जिसके बाद पूरे घर की जिम्मेदारी डोंगर सिंह जाटव की पत्नी चरणदेवी पर आ गयीं। डोंगर सिंह जाटव का एक बेटा और एक बेटी है जिसमे बेटा विकलांग है वही लड़की शादी तो तय कर दी थी लेकिन जब शादी करने का समय आया तो उसके पूर्व ही डोंगर सिंह जाटव का देहांत हो गया ।
जिसके बाद डोंगर सिंह की पत्नी ने रिश्तेदारों की मदद से लड़की शादी करने का निर्णय लिया। लेकिन जब शादी में भात की रश्म करने का समय आया तो चारणदेवी का दिमाग काम करना बंद कर दिया क्योंकि लड़की का भाई विकलांग है तो भला कौन भात रस्म को निभायेंगे। शादी की खबर सुनकर मोहल्ले में किन्नर घर आ पहुचीं जिनसे चरणदेवी ने अपनी चिंता की चर्चा कर ली । जब ये बात किन्नरों को पता चली तो राबिया किन्नर नाम की किन्नर ने भाई बनकर लड़की के भात रश्म करने का आग्रह किया।
चरणदेवी भी इस बात के लिए मान गयी , बस फिर क्या था राबिया किन्नर पूरी शादी में एक भाई के रूप में पूरी शादी को सम्पन्न करा दी।शादी के बाद जब लड़की ने लड़के को जन्म दिया तो राबिया किन्नर तब भी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटी और उंन्होने अपने भांजे के लिये होने वाली पछ रस्म के लिये 70 हज़ार रुपये तक दिये।